Friday, October 4, 2013

क्रिकेट का सिन्ड्रेला: अफगानिस्तान


“Pull up your sleeves,.
Come onto the streets,.
And start dancing.
Because happiness is rare in a poor man's life." – An Afghan poem

अफगानिस्तान – हमारा एक पड़ोसी देश जिसे हम जानते हैं – सोवियत रूस की सेनाओं द्वारा अतिक्रमण किये गए देश के रूप में, कबीलाई क्षत्रपों के आपसी संघर्ष से उपजे गृहयुद्ध की मार झेलते देश के रूप में, मध्य – युगीन बर्बर तालिबान के उदय और प्रादुर्भाव वाले देश के रूप में. हमें वो तस्वीर याद आती है जिसमें तालिबान द्वारा पूर्व राष्ट्रपति नजीबुल्ला को सरेआम सूली पर टांग दिया गया था. हमें आत्मघाती हमले में मार दिए जाने वाले अहमद शाह मसूद याद आते हैं. हमें नाटो और अलाइड सेनाओं सेनाओं द्वारा चलाये गए ऑपरेशन एंड्यूरिंग फ्रीडम और ऑपरेशन एनाकोंडा याद आते हैं. और हाल ही में तालिबान द्वारा मार दी जाने वाली “काबुलीवाला की बंगाली बहू” सुष्मिता बनर्जी याद आती हैं.

एक देश जो पिछले पैंतीस सालों से भारी उथल – पुथल झेल रहा है, वहां भी शान्ति के प्रयास जारी हैं, फिर से विकास के सपने देखना जारी है. खेल भी इस परिवर्तन से अछूते नहीं हैं, बल्कि खेल तो सामान्य होने की दिशा में मददगार ही साबित हो रहे हैं. अभी पिछले माह ही अफगानिस्तान की फुटबॉल टीम ने भारत को फाइनल में हराकर 8 देशों का सार्क कप टूर्नामेंट जीता है. पर एक ऐसा खेल जो महज कुछ साल पहले तक दुनिया के इस हिस्से के लिए बिल्कुल अन्जाना था, उस खेल में विश्व कप में भाग लेने की पात्रता हासिल करना कल्पनातीत उपलब्धि है.

तालिबान शासन में सारे खेलों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था. फिर भी सन 2001 में अफगानिस्तान की राष्ट्रीय टीम गठित की गयी. इस टीम के निर्माण में अफगानिस्तान क्रिकेट के सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्ति रहे ताज मालिक का हाथ था जिन्होंने खिलाड़ियों की प्रतिभा तलाशने से लेकर उन्हें तराशने का काम किया. उन्हीं के अनथक प्रयासों से अफगानिस्तान ने क्रिकेट का ककहरा सीखा और उन्हीं के कोचिंग और मार्गदर्शन में सफलता की दास्तान लिखी गयी. आज अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को ज्यादा अनुभव और प्रोफेशनल बनाने के लिए विदेशी कोच की भी सेवाएं ली जा रही हैं.

इन पंक्तियों के लिखे जाने के वक्त अफगानिस्तान क्रिकेट टीम 2015 में आस्ट्रेलिया – न्यूजीलैंड में होने वाले अगले एकदिवसीय विश्व – कप के लिए क्वालीफाई करने के लिए शारजाह में केन्या से निर्णायक मैच खेल रही है. वर्ल्ड क्रिकेट लीग में सबसे ऊपर रहने वाली आयरलैंड की टीम पहले हीं विश्व कप के लिए क्वालीफाई कर चुकी है. आज हो रहे वर्ल्ड क्रिकेट लीग के इस मैच में जीत दर्ज करने (जो कि हालिया प्रदर्शन देखते हुए महज औपचारिकता ही लगती है) के साथ हीं अफगानिस्तान क्रिकेट टीम एक ऐसे सपनीले सफ़र का महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर लेगी जिस पर यकीन मुश्किल से ही आएगा. अफगान क्रिकेट की इस कहानी को “क्रिकेट का सिन्ड्रेला” कहा जाय तो गलत नहीं होगा.


ऐसा नहीं है कि क्रिकेट जगत अफगान टीम की दस्तक से पूरी तरह अनजान था. उनका एकदिवसीय विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने का सपना आज से चार साल पहले पूरा होते होते रह गया था जब उनकी टीम 2011 विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने से सिर्फ एक जीत दूर रह गए थे और उनको आखिरी मैच में कनाडा ने हराकर विश्व कप में अपना स्थान पक्का किया था. हालांकि उस क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में अच्छे प्रदर्शन से पूर्व अफगान टीम ने डिवीज़न 5, डिवीज़न 4 और डिवीज़न 3 स्तर के टूर्नामेंट बहुत ही कम समय में जीते थे. इस अविस्मरणीय प्रदर्शन के चलते उन्हें 4 साल (2009 – 2013) तक के लिए एक – दिवसीय क्रिकेट खेलने का दर्जा दे दिया गया था. पिछले चार सालों में अफगान क्रिकेट टीम दो बार T20 विश्व कप में खेल चुकी है. इनती तेजी से क्रिकेट के पायदान चढ़ती जा रही है अफ़ग़ानिस्तान की टीम कि अभी हाल ही में आई सी सी को विवश होकर एफिलिएट मेम्बर से एसोसिएट मेम्बर के रूप में पदोन्नति करनी पड़ी. अफगानिस्तान टीम के वर्तमान कप्तान मोहम्मद नबी और तेज गेंदबाज हामिद हसन बांग्लादेश प्रीमियर लीग में खेलते हैं. हामिद हसन 145 किमी/घंटा की रफ़्तार से गेंदबाजी करने की क्षमता रखता है. विकेटकीपर – बैट्समैन मोहम्मद शहजाद हार्ड-हिटिंग करने में भी सक्षम है और धोनी मार्का हेलीकाप्टर शॉट लगाने से भी गुरेज नहीं है. अभी कुछ माह पहले तब टेस्ट क्रिकेट में विश्व की नंबर एक टीम इंग्लैंड के खिलाफ एक प्रथम श्रेणी मैच की दोनों इनिंग में अर्द्धशतक लगाए थे, जबकि उस पिच पर बैटिंग करना निहायत मुश्किल था. पूर्व कप्तान नौरोज मंगल इस वर्ल्ड क्रिकेट लीग में अफगानिस्तान की और से सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे हैं. इसके अलावा अनुभवी करीम सादिक एक हार्ड-हिटर बैट्समैन होने के साथ उपयोगी ऑर्थोडॉक्स बोलिंग भी कर लेते हैं. असग़र स्टैनिकजाई और दौलत ज़दरन भी उपयोगी खिलाड़ी हैं.

नौरोज मंगल, करीम सादिक, मोहम्मद शहजाद और कई अन्य अफगान क्रिकेटर्स का बचपन रिफ्यूजी कैंप में गुजरा है. आज अफगान क्रिकेट रिफ्यूजी कैंप से निकल विश्व परिदृश्य पर दस्तक देकर ये ऐलान करने के लिए तैयार है कि पूर्व भारतीय क्रिकेटर सलीम दुर्रानी की जन्मभूमि रहा अफगानिस्तान, अब सिर्फ बुज़कशी जैसे मध्य-युगीन खेल के लिए नहीं जाना जाता है.

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