Tuesday, May 14, 2013

श्रद्धांजलि: असग़र अली इंजिनियर

आज सुबह मुंबई में उन्होंने अंतिम सांस ली जिनके नाम में डॉक्टर भी था और इंजिनियर भी और जो पेशे से तो एक इंजिनियर थे पर अपने कार्यों के सोशल इंजीनियरिंग के कारक. समाजकर्मी और चिंतक डॉ. असगर अली इंजीनियर का जन्म 10 मार्च 1939 को राजस्थान के उदयपुर में हुआ था. उज्जैन के विक्रम यूनिवर्सिटी से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बॉम्बे म्युनिसिपल कारपोरेशन में इंजिनियर के रूप में 20 वर्षों तक कार्य करने के बाद 1972 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली.

उनका परिवार दाउदी बोहरा संप्रदाय का अनुयायी थास्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के पश्चात इंजीनियर ने सत्तर के दशक में दाउदी बोहरा की कट्टरता और दकियानूसी परंपराओं के खिलाफ सुधारवादी आंदोलन में भाग लिया. अपने लेखों और वक्तव्यों से उन्होनें अपने समाज में संचेतता का प्रसार किया. इस सुधारवादी आन्दोलन के वे एक प्रमुख स्तम्भ थे. गहन वैचारिक एवं रक्तरंजित संघर्ष के पश्चात बोहरा संप्रदाय दो भागों में विभाजित हुआ जिनमें से सुधारवादी गुट ने खुद को प्रगतिशील बोहरा समुदाय कहा.

असगर अली इंजीनियर भारत के उन प्रमुख लोगों में से थे जो देश में धार्मिक कट्टरता के खिलाफ थे और एक धर्मनिरपेक्ष देश का सपना रखते थे. नारी अधिकारों के लिए भी उन्होंने काफी काम किया था.
उनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तकें थीं - "भारत में साम्प्रदायिकता", "भारतीय मुसलमान: भारत में अल्पसंख्यक समस्याएं एक अध्ययन", इत्यादि. उनकी आत्मकथा है - "A Living Faith: My Quest for Peace, Harmony and Social Change ".

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